क्यों जग जग कर रात,रोज कटती अब साजन। क्यों रह रह कर आग,ये जल रही उर आँगन। आज यह मन अधीर, जाँ बन रहे हम पागल। शाम सुबह यह याद, क्यों कर रही अब घायल। #रसाल_छंद #तेरीयाद #विश्वासी