कुछ कही, कुछ अनकही# रिश्ते वह हैं जो दिखाए नही जाते कश्मकश आएंगे तो जरूर, जिसे न तुम जानो न मैं दरारे फिर भी कम होंगे, सिर्फ, एक बेदाग़ इन्तेजार चाहिए, जिसे न तुम जानो न मैं इस तमन्ना को इक बिखरी हुई खुशबू की है गुरूर जिसे न तुम जानो न मैं.... इस रिश्ते को मैं क्या नाम दूँ जिसे न तुम जानो न मैं..... कुछ कही, कुछ अनकही#Soumen