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बढ़ चुकी हैं जो जानिब ए मंज़िल उन राहों को याद छूटा

बढ़ चुकी हैं जो जानिब ए मंज़िल उन राहों को याद छूटा हुआ चौराहा करता है
बस गए परदेस में जो एक मुद्दत से उन लड़कों को याद गली का नुक्कड़ अब भी करता है 4/7/20
बढ़ चुकी हैं जो जानिब ए मंज़िल उन राहों को याद छूटा हुआ चौराहा करता है
बस गए परदेस में जो एक मुद्दत से उन लड़कों को याद गली का नुक्कड़ अब भी करता है 4/7/20

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