शब्दों के तीर (अनुशीर्षक में पढ़ें) शब्दों के तीर शब्दों के तीर, दिल पर चले कुछ ऐसे दिल को कर गए घायल और लहू-लुहान छलनी हो टूट कर बिखर गया वो बेचारा कुछ होगा ऐसा, नहीं था उसे ज़रा भी अनुमान कितनी शिद्दत से करता रहा वो प्यार