बड़ी तेजी से जल रहा है चिता अग्नि में चिंता की बदली दुःख की कालिमा लिए। मृत ब्यक्ति की अशेष यादों के झुरमुट असंख्य दीप जलाए यादों में सफर कर रहा है। मौत अट्टहास कर गीत गा रहा है, शान्ति मृतआत्मा से कोसों दूर नृत्य कर रही है। इंसान चीत्कार कर ढूँढता है अपनों को चिता से उठती लपटें धुँआ के बीच की खामोशी में। जाने वाले मौत की वजह भी हम इंसान के मत्थे थोप कर। शवदाह के आँगन में मेला है हर चेहरे पर उदासी का रंग गहरा है डोम के चेहरे पर गुस्सा-झुंझलाहट है गंगा की लहरों के साथ बहती अस्थियाँ है। बहुत तेज है लपटें आग की चिता अग्नि में चिंताएँ जिंदगी में ॐ शांती... ©सौरभ अश्क #चिता #चिंता