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हां अब वो मेरे साथ नही , क्या उसमें भी जज़्बात नहीं

हां अब वो मेरे साथ नही , क्या उसमें भी जज़्बात नहीं,
शायद ऐसी बात नही , फिर कटती क्यों ये रात नहीं।
जो सोचा था वो हो ही गया
जो खोना था वो खो ही गया
ख़्वाब जो पाला था हमने
खाक होना था वो हो ही गया
ख्वाबों मे ना देखूं तुझको क्या इतनी मेरी औकात नहीं,
शायद ऐसी बात नहीं ,फिर कटती क्यों ये रात नहीं।
तू थी , तो था संसार मेरा ,
एक छोटा सा परिवार मेरा,
फलक में तारे जितने हैं,
बस इतना सा था प्यार मेरा।
हाथों की इन लकीरों में क्या अब उसका हाथ नहीं,
शायद ऐसी बात नहीं , फिर कटती क्यों ये रात नहीं।
तन्हा तन्हा सा जीता हूँ,
तन्हा तन्हा सा मरता हूँ,
कोई कहता है तो कहने दो,
मैं प्यार तो अब भी करता हूँ।
क्या अब वो सावन का मौसम ,क्या अब ऐसी बरसात नहीं,
शायद ऐसी बात नहीं ,फिर कटती क्यों ये रात नहीं। #Night #poetry
हां अब वो मेरे साथ नही , क्या उसमें भी जज़्बात नहीं,
शायद ऐसी बात नही , फिर कटती क्यों ये रात नहीं।
जो सोचा था वो हो ही गया
जो खोना था वो खो ही गया
ख़्वाब जो पाला था हमने
खाक होना था वो हो ही गया
ख्वाबों मे ना देखूं तुझको क्या इतनी मेरी औकात नहीं,
शायद ऐसी बात नहीं ,फिर कटती क्यों ये रात नहीं।
तू थी , तो था संसार मेरा ,
एक छोटा सा परिवार मेरा,
फलक में तारे जितने हैं,
बस इतना सा था प्यार मेरा।
हाथों की इन लकीरों में क्या अब उसका हाथ नहीं,
शायद ऐसी बात नहीं , फिर कटती क्यों ये रात नहीं।
तन्हा तन्हा सा जीता हूँ,
तन्हा तन्हा सा मरता हूँ,
कोई कहता है तो कहने दो,
मैं प्यार तो अब भी करता हूँ।
क्या अब वो सावन का मौसम ,क्या अब ऐसी बरसात नहीं,
शायद ऐसी बात नहीं ,फिर कटती क्यों ये रात नहीं। #Night #poetry
vijaygautam1314

Vijay Gautam

New Creator