महफिलें सजती थी उसके ही घर , रोज नये बहाने लेकर, मस्ती में दुआयें देते थे यार , हाथों में पैमाने लेकर ...... आज कुछ ऐसा दौर आया है, उसका घर वीरान है उसके दोस्त ही बतातें हैं वो चन्द दिनों का मेहमान है बिस्तर पर अकेला पडा आंगन को घूरता रहता है वो दौर एक सपना था य़ा सच था ये सोच -सोच कर ही परेशान है ......... वो महफ़िलें नहीं रहीं, वो लोग भी नहीं रहे... #महफ़िलें #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi