कभी किताबो के पन्नों को पल्टू आंखें मेरी भर जाती है ।। कभी जो खुद में तुझको मै ढूंढू देखू तू मेरी परछाई है ।। वक़्त को जो पीछे मै कर दू चाह मेरी बन जाती है ।। जब कभी ढूंढने मै निकलू दूर तू चली जाती है।। जो खुदको मै चीर के देखू तू मेरे रग रग में समाई है।। तू सच्च हो या हो वहम मेरा आज आंखें फिर भर अाई है।। - shishir Tripathi #तू #nojoto #nojotopoemonline please follow and like my poetry if you find it deserving it will give me strength to write more ....