डर लगता है तुझे खोने से तेरे बात बात पर रूठ जाने से तेरा मुझको अपना बनाकर मुझसे ही दूर हो जाने से तेरे हर अंदाज़ और अलफ़ाज़ में खुद को ढूंढ़ती हुँ तेरी ज़िंदगी में अपनी बुनियाद खोजती हुँ ऐ हमसफ़र सिर्फ एक बार गले से लगा ले प्यार नहीं तो कड़वा सच ही मेरी ज़िंदगी में सजादे मेरी जरूरत है की नहीं इस बात का एक इशारा करले मुझे दफा कर या अपनी ज़िंदगी का एक एहसास बतादे... पर आज मुझे मेरी आवरू से मिलादे! आज मुझे मेरी आवरू से मिलादें