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मासूमियत से लबरेज वो नादानियां हास्य विनोद से परिप

मासूमियत से लबरेज वो नादानियां
हास्य विनोद से परिपूर्ण वो छोटे-छोटे किस्से 
कभी खुली छत पर चाँदनी रात में चाँद को तकते रहना और सोचना कि सूरज की रौशनी तो दिन में होती है ये रात को चाँद को उजाला कौन देता है 
कभी साईकिल चलाते चलाते उसका हैंडिल छोड़कर दूर तक तेज़ी से भगाना और खुद पे इतराना.... कभी विज्ञान के नोट्सबुक में किशोर कुमार के गानों वाली किताब रखकर पढ़ना, कभी पिछले डेस्क पर बैठकर परमाणु, ध्रुव, डोगरा के कॉमिक रोमांच में सैर करना
और सबसे जरूरी बात....दोस्ती भावों से चलती थी तब जरूरतों के दीमक ने उसे चांटा नही था
वह निश्छल और पवित्र होती थी
वो बचपन के दिन मासूमियत से भरे अपनी नादानियों के यादगार किस्से याद आते हैं
 बचपन की शैतानियाँ 
कैसी थीं नादानियाँ
लिखें, Collab करें YQ Didi के साथ।

#शैतानियाँ
#collab
#yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with  YourQuote Didi
मासूमियत से लबरेज वो नादानियां
हास्य विनोद से परिपूर्ण वो छोटे-छोटे किस्से 
कभी खुली छत पर चाँदनी रात में चाँद को तकते रहना और सोचना कि सूरज की रौशनी तो दिन में होती है ये रात को चाँद को उजाला कौन देता है 
कभी साईकिल चलाते चलाते उसका हैंडिल छोड़कर दूर तक तेज़ी से भगाना और खुद पे इतराना.... कभी विज्ञान के नोट्सबुक में किशोर कुमार के गानों वाली किताब रखकर पढ़ना, कभी पिछले डेस्क पर बैठकर परमाणु, ध्रुव, डोगरा के कॉमिक रोमांच में सैर करना
और सबसे जरूरी बात....दोस्ती भावों से चलती थी तब जरूरतों के दीमक ने उसे चांटा नही था
वह निश्छल और पवित्र होती थी
वो बचपन के दिन मासूमियत से भरे अपनी नादानियों के यादगार किस्से याद आते हैं
 बचपन की शैतानियाँ 
कैसी थीं नादानियाँ
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rahulapne2112

Rahul Apne

New Creator

बचपन की शैतानियाँ कैसी थीं नादानियाँ लिखें, Collab करें YQ Didi के साथ। #शैतानियाँ #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi