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वक्त लगेगा विशाद तंत्र है अद्भुत मन्त्र है हर क्षण

वक्त लगेगा
विशाद तंत्र है
अद्भुत मन्त्र है
हर क्षण चौकस
षड्यंत्र ही षड्यंत्र
हार,जीत से ऊपर
विचारधारा पर्यन्त
अनुप्राणित शतरंज!
यहाँ राजनीति वाले
कूटनीति से हाँथ धोते
प्रत्यक्ष को रोते,अप्रत्यक्ष को बोते
दोनों हैं इसके।
दोहरी विचारधारा
हार,जीत निजता से परे
राजनीति है करी जाती है
जी नहीं जाती
जीवन तो प्रश्न है,
प्रत्यक्ष पर विचारधारा वस्तुतःरोता ही है
अप्रत्यक्ष पर कूटनीति होता है।
किसान का जेब भरा भी नहीं
कंगाल होता कोष हुआ दृष्टिगत
मात्र एक कूटनीतिक बिचौलिये संकल्प से
सम्भावित सरकार को
विचारधारा की पटखनी,दूर की कौड़ी
उदाहरण बन गया 
जनता के कन्धे से कंधा मिलाकर
कृषि को अव्यवस्थित आयु दी गई
चुनाव में निर्धारित प्रश्न बने
वक्त लगेगा,प्रश्न दौड़ेगा 6000 की शोध में
निजता से परे आदर्श स्थिति,एक चुनौती! किसान चौसठ खानों में रहता है,गरीबी और विकास के समानांतर।।
(6000 रु घोषित किया गया यह जानते हुए कि इसके बावजूद सरकार में नहीं आ पाएंगे।क्यों?)

वक्त लगेगा
विशाद तंत्र है
अद्भुत मन्त्र है
हर क्षण चौकस
षड्यंत्र ही षड्यंत्र
वक्त लगेगा
विशाद तंत्र है
अद्भुत मन्त्र है
हर क्षण चौकस
षड्यंत्र ही षड्यंत्र
हार,जीत से ऊपर
विचारधारा पर्यन्त
अनुप्राणित शतरंज!
यहाँ राजनीति वाले
कूटनीति से हाँथ धोते
प्रत्यक्ष को रोते,अप्रत्यक्ष को बोते
दोनों हैं इसके।
दोहरी विचारधारा
हार,जीत निजता से परे
राजनीति है करी जाती है
जी नहीं जाती
जीवन तो प्रश्न है,
प्रत्यक्ष पर विचारधारा वस्तुतःरोता ही है
अप्रत्यक्ष पर कूटनीति होता है।
किसान का जेब भरा भी नहीं
कंगाल होता कोष हुआ दृष्टिगत
मात्र एक कूटनीतिक बिचौलिये संकल्प से
सम्भावित सरकार को
विचारधारा की पटखनी,दूर की कौड़ी
उदाहरण बन गया 
जनता के कन्धे से कंधा मिलाकर
कृषि को अव्यवस्थित आयु दी गई
चुनाव में निर्धारित प्रश्न बने
वक्त लगेगा,प्रश्न दौड़ेगा 6000 की शोध में
निजता से परे आदर्श स्थिति,एक चुनौती! किसान चौसठ खानों में रहता है,गरीबी और विकास के समानांतर।।
(6000 रु घोषित किया गया यह जानते हुए कि इसके बावजूद सरकार में नहीं आ पाएंगे।क्यों?)

वक्त लगेगा
विशाद तंत्र है
अद्भुत मन्त्र है
हर क्षण चौकस
षड्यंत्र ही षड्यंत्र