Nojoto: Largest Storytelling Platform

अवधेश कनौजिया #truth #politics #left #nationalist

अवधेश कनौजिया #truth #politics #left #nationalist #राजनीति #life #lifequotes 

वामपन्थ को चरस के नशे में रहने वाले बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सहानुभूति


  वामपन्थ की चरस के मद में रहने वाले पत्रकार व रचनाकार बुद्धूजीवी, जो अपने घरों में बैठे बैठे प्रवासी मजदूरों के प्रति फेसबुक पर सहानुभूति दिखा कर व वर्तमान केंद्र सरकार को गरियाकर स्वयं को उनका हितैषी बना कर प्रस्तुत कर रहे हैं। इतिहास गवाह है कि जब भी मोदीजी जैसे नेता ने कुछ देशहित में कार्य करना चाहा तब बने बने काम पर उस्तरा फेरने के लिए #अर्बन_नक्सल गिरोह सक्रिय हो उठता है। वह यदि राज्य सत्ता में है तो उसने मजदूरों को राज्य छोड़ने पर विवश किया, ताकी बाद में जो समस्याएं जन्म लें उनका दोष सीधा मोदी सरकार पर मढ़ दिया जाए। शुरुआत दिल्ली व महाराष्ट्र से हुई जहाँ सत्ता में क्रमशः केजरीवाल और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हैं। उनमें एक वामपन्थ के उपासक व दूसरे वर्तमान में वामपन्थ के दास अर्थात कांग्रेस व एनसीपी के बंधुवा मजदूर हैं। और दूसरे वाले महाशय उद्धव व उनके भाई राज ठाकरे तो वैसे भी उत्तर भारतीयों और बिहारियों के कट्टर विरोधी रहे हैं अतः ये बंधुवा मजदूरी उद्धव जी के लिए वरदान सिद्ध हुई। 

एक और गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली या महाराष्ट्र से एक भी बांग्लादेशी व रोहिंग्या ने पलायन नहीं किया। कारण उनकी सेवा में दोनों राज्यों की सरकारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी और बाकी प्रवासी मजदूरों को भूखे रहने की नौबत आ गई। भूख से व्याकुल होकर ही वे अपने अपने गाँव चल दिये। यदि उनके भोजनादि की व्यवस्था राज्य सरकारों द्वारा की गई होती तो कदाचित वे पलायन करने को विवश न होते। उत्तर प्रदेश जहाँ से मैं भी हूँ, बराबर वहाँ के हाल चाल लेता रहता हूँ। अभी तक सुनने में नहीं आया कि कोई भी गरीब वहाँ भूख से पीड़ित है। सबके लिए भोजन की व्यवस्था है। किन्तु अखण्ड विरोधियों को विरोध के लिये कोई न कोई मुद्दा तो चाहिए होता है, कुछ उन्हें स्वयं मिल जाते हैं और कुछ को वे षड्यंत्रबद्ध तरीके से जन्म देते हैं। हमने और हमारे मित्रों ने एक सर्वेक्षण किया और जो मजदूर महाराष्ट्र से लौट रहे थे उनसे पलायन का कारण (मेरे परम मित्र ने) पूछा तो एक ने बताया कि उनकी बस्ती में एनसीपी नेता द्वारा कहा गया था कि 20 लाख करोड़ का लाभ अपने मूल निवास अर्थात उनके पैतृक गाँव जाने पर ही मिलेगा। दूसरे प्रवासी ने बताया कि उन्हें बताया गया कि अब तुम्हे पूरे साल तुम्हारे गाँव मे ही रोजगार दिया जाएगा अतः यहाँ परिवार से दूर रहने की कोई आवश्यकता नहीं है।
अवधेश कनौजिया #truth #politics #left #nationalist #राजनीति #life #lifequotes 

वामपन्थ को चरस के नशे में रहने वाले बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सहानुभूति


  वामपन्थ की चरस के मद में रहने वाले पत्रकार व रचनाकार बुद्धूजीवी, जो अपने घरों में बैठे बैठे प्रवासी मजदूरों के प्रति फेसबुक पर सहानुभूति दिखा कर व वर्तमान केंद्र सरकार को गरियाकर स्वयं को उनका हितैषी बना कर प्रस्तुत कर रहे हैं। इतिहास गवाह है कि जब भी मोदीजी जैसे नेता ने कुछ देशहित में कार्य करना चाहा तब बने बने काम पर उस्तरा फेरने के लिए #अर्बन_नक्सल गिरोह सक्रिय हो उठता है। वह यदि राज्य सत्ता में है तो उसने मजदूरों को राज्य छोड़ने पर विवश किया, ताकी बाद में जो समस्याएं जन्म लें उनका दोष सीधा मोदी सरकार पर मढ़ दिया जाए। शुरुआत दिल्ली व महाराष्ट्र से हुई जहाँ सत्ता में क्रमशः केजरीवाल और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हैं। उनमें एक वामपन्थ के उपासक व दूसरे वर्तमान में वामपन्थ के दास अर्थात कांग्रेस व एनसीपी के बंधुवा मजदूर हैं। और दूसरे वाले महाशय उद्धव व उनके भाई राज ठाकरे तो वैसे भी उत्तर भारतीयों और बिहारियों के कट्टर विरोधी रहे हैं अतः ये बंधुवा मजदूरी उद्धव जी के लिए वरदान सिद्ध हुई। 

एक और गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली या महाराष्ट्र से एक भी बांग्लादेशी व रोहिंग्या ने पलायन नहीं किया। कारण उनकी सेवा में दोनों राज्यों की सरकारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी और बाकी प्रवासी मजदूरों को भूखे रहने की नौबत आ गई। भूख से व्याकुल होकर ही वे अपने अपने गाँव चल दिये। यदि उनके भोजनादि की व्यवस्था राज्य सरकारों द्वारा की गई होती तो कदाचित वे पलायन करने को विवश न होते। उत्तर प्रदेश जहाँ से मैं भी हूँ, बराबर वहाँ के हाल चाल लेता रहता हूँ। अभी तक सुनने में नहीं आया कि कोई भी गरीब वहाँ भूख से पीड़ित है। सबके लिए भोजन की व्यवस्था है। किन्तु अखण्ड विरोधियों को विरोध के लिये कोई न कोई मुद्दा तो चाहिए होता है, कुछ उन्हें स्वयं मिल जाते हैं और कुछ को वे षड्यंत्रबद्ध तरीके से जन्म देते हैं। हमने और हमारे मित्रों ने एक सर्वेक्षण किया और जो मजदूर महाराष्ट्र से लौट रहे थे उनसे पलायन का कारण (मेरे परम मित्र ने) पूछा तो एक ने बताया कि उनकी बस्ती में एनसीपी नेता द्वारा कहा गया था कि 20 लाख करोड़ का लाभ अपने मूल निवास अर्थात उनके पैतृक गाँव जाने पर ही मिलेगा। दूसरे प्रवासी ने बताया कि उन्हें बताया गया कि अब तुम्हे पूरे साल तुम्हारे गाँव मे ही रोजगार दिया जाएगा अतः यहाँ परिवार से दूर रहने की कोई आवश्यकता नहीं है।

#Truth #Politics #Left #Nationalist #राजनीति life #lifequotes वामपन्थ को चरस के नशे में रहने वाले बातवीरों की मजदूरों के प्रति दिखावटी सहानुभूति   वामपन्थ की चरस के मद में रहने वाले पत्रकार व रचनाकार बुद्धूजीवी, जो अपने घरों में बैठे बैठे प्रवासी मजदूरों के प्रति फेसबुक पर सहानुभूति दिखा कर व वर्तमान केंद्र सरकार को गरियाकर स्वयं को उनका हितैषी बना कर प्रस्तुत कर रहे हैं। इतिहास गवाह है कि जब भी मोदीजी जैसे नेता ने कुछ देशहित में कार्य करना चाहा तब बने बने काम पर उस्तरा फेरने के लिए #अर्बन_नक्सल गिरोह सक्रिय हो उठता है। वह यदि राज्य सत्ता में है तो उसने मजदूरों को राज्य छोड़ने पर विवश किया, ताकी बाद में जो समस्याएं जन्म लें उनका दोष सीधा मोदी सरकार पर मढ़ दिया जाए। शुरुआत दिल्ली व महाराष्ट्र से हुई जहाँ सत्ता में क्रमशः केजरीवाल और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री हैं। उनमें एक वामपन्थ के उपासक व दूसरे वर्तमान में वामपन्थ के दास अर्थात कांग्रेस व एनसीपी के बंधुवा मजदूर हैं। और दूसरे वाले महाशय उद्धव व उनके भाई राज ठाकरे तो वैसे भी उत्तर भारतीयों और बिहारियों के कट्टर विरोधी रहे हैं अतः ये बंधुवा मजदूरी उद्धव जी के लिए वरदान सिद्ध हुई। एक और गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली या महाराष्ट्र से एक भी बांग्लादेशी व रोहिंग्या ने पलायन नहीं किया। कारण उनकी सेवा में दोनों राज्यों की सरकारों ने कोई कसर नहीं छोड़ी और बाकी प्रवासी मजदूरों को भूखे रहने की नौबत आ गई। भूख से व्याकुल होकर ही वे अपने अपने गाँव चल दिये। यदि उनके भोजनादि की व्यवस्था राज्य सरकारों द्वारा की गई होती तो कदाचित वे पलायन करने को विवश न होते। उत्तर प्रदेश जहाँ से मैं भी हूँ, बराबर वहाँ के हाल चाल लेता रहता हूँ। अभी तक सुनने में नहीं आया कि कोई भी गरीब वहाँ भूख से पीड़ित है। सबके लिए भोजन की व्यवस्था है। किन्तु अखण्ड विरोधियों को विरोध के लिये कोई न कोई मुद्दा तो चाहिए होता है, कुछ उन्हें स्वयं मिल जाते हैं और कुछ को वे षड्यंत्रबद्ध तरीके से जन्म देते हैं। हमने और हमारे मित्रों ने एक सर्वेक्षण किया और जो मजदूर महाराष्ट्र से लौट रहे थे उनसे पलायन का कारण (मेरे परम मित्र ने) पूछा तो एक ने बताया कि उनकी बस्ती में एनसीपी नेता द्वारा कहा गया था कि 20 लाख करोड़ का लाभ अपने मूल निवास अर्थात उनके पैतृक गाँव जाने पर ही मिलेगा। दूसरे प्रवासी ने बताया कि उन्हें बताया गया कि अब तुम्हे पूरे साल तुम्हारे गाँव मे ही रोजगार दिया जाएगा अतः यहाँ परिवार से दूर रहने की कोई आवश्यकता नहीं है।