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White अर्ज़ है.... कभी झील सी ख़ामोश, कभी झरने सी

White अर्ज़ है.... कभी झील सी ख़ामोश, कभी झरने सी बलखाती हूं कभी ज़माने से, तो कभी ख़ुद से ही डर जाती हूं

कभी बादलों सा उड़ती हूं तो कभी ज़मीं पे गिर जाती हूं हूं मैं एक नदी प्यार की जहां प्यार मिले, वहीं मुड़ जाती हूं

टकराती हूं मैं रोज़ पत्थरों से सीने पे हर दिन चोट खाती हूं शिकवा नहीं फिर भी किसी से लचकती डाल सी झुक जाती हूं

मिले जो सहारा ज़रा सा बेल की तरह लिपट जाती हूं जो भी किरदार दिया ज़िन्दगी नें उसे बखूबी मैं निभाती हूं

और सारे रिश्ते निभाते-निभाते मैं ख़ुद क़ो ही भूल जाती हूं..!!

©Kanchan Agrahari
  #sad_shayari  Anshu writer  @_सुहाना सफर_@꧁ঔৣMukeshঔৣ꧂RJ09  Neelam Modanwal ..  Ñãdãñ•√  Munni