#OpenPoetry मूक बने क्यों बैठे हो,अपने ही कर्तव्य पथ पर या भ्रम पाल कर बैठे हो अपने ही स्थिरतप पर अरे क्यों अज्ञानी बनते हो जब स्वयं ऊर्जावान हो तुम । फिर क्यों संज्ञान नहीं ले पाते भोगी अधर्मी नृप पर । ये तो वही संत्री है जो नीच निति से ग्रस्त है संपूर्ण सीमाएं देश की इनकी बीती से त्रस्त है इनका अत्याचार तुम पर सबसे श्रेष्ठ शश्त्र है क्या विश्वास पाल बैठे हो ऐसे विषधर,सृप पर मूक बने क्यों बैठे हो अपने ही कर्तव्य पथ पर #अतिशीघ्र #अतिशीघ्र,राजनीती कर्ताक्ष