रुको ज़रा अभी कुछ बात करनी है याद करो वो बात आज लड़नी है! ये जख्म सुखने से पहले हरा कर दो शब्दकोष खाली है अल्फ़ाज़ भरनी है! ये मुखौटा चेहरे से हटा दो साहब आज खुद से मुझे बात करनी है! क्यों मैं लौटा हूं आज बरसो बाद? रिक्त स्थानों में जवाब भरनी है! क्यों मैं खुद को पाने से ज्यादा गँवाता रहा आज हर एक पल की हिसाब करनी है!! ©Saurav Das #बात #करनी #है #WorldOrganDonationDay