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कर्म को अपना किया हुआ मानने से उसकी असफलता में तो

कर्म को अपना किया हुआ मानने से उसकी असफलता में तो दुःख होता ही है, सफलता में भी मनुष्य अभिमान से अभिभूत होकर अपनी हानि कर लेता है। हानि
कर्म को अपना किया हुआ मानने से उसकी असफलता में तो दुःख होता ही है, सफलता में भी मनुष्य अभिमान से अभिभूत होकर अपनी हानि कर लेता है। हानि
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