जिसे विकास कहता है न तु वह विकास नहीं, विनाश है संतोष और प्यार ही जीवन है! समय है अब भी, लगाम.... मैं नहीं चाहती तुझ पर रोना अपने सृजन को अपने ही हाथों मिटाना! मत भिगो तू अपनी माँ की आँखों को मत कुचल तू अपनी माँ की छाती को रे निर्दय! समय है अब भी लगाम दे तू अपनी लालची, जड़ बुद्धि को!! #बेकाबू मनुष्य #कॉरोंना #तूफान 3#03.06.20