सब गोधन के पोषणकर्त्ता, सबरे ब्रजजन के सुखकारी। हो अतिशय प्रिय तुम नटवर को, विहरन हित सुखद भूमि सारी।। विपदा से 'परेशान' ब्रज की, बन छत्र करी तैनें रखवारी। है पर्वतराज कृपा तुम्हरी, जो श्याम विरुद भयौ गिरधारी।। ✍✍परेशान✍✍ 🌺🌺👏🏻👏🏻🌺🌺 ©Dharmendra Singh #jai giriraj