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कहीं कुछ बदला नहीं है लेकिन अब याद आता है हम एक -

कहीं कुछ बदला नहीं है
लेकिन अब याद आता है
हम एक - दूसरे को कितना प्यार करते थे ।
मैं उस दिन कि बात सोचता हूं
हम दोनों बाजार गए
और मुख - द्वार के लिए नया ताला खरीदा
एक ताली तुमने रख ली और एक ताली मैंने
यह अजनबी होने की शुरुआत थी
और अब तो हम रक्तपात के
उस मुकाम पर
पहुंच चुके हैं कि हमारे
खतों के पते भी
एक दूसरे से अपना मुंह
चुराने लगे हैं।
-Dhoomil

©Komal Upadhyay #Quote #dhoomil #Poet #quoteoftheday #poem #Poetry #kavita #kavishala 

#reading
कहीं कुछ बदला नहीं है
लेकिन अब याद आता है
हम एक - दूसरे को कितना प्यार करते थे ।
मैं उस दिन कि बात सोचता हूं
हम दोनों बाजार गए
और मुख - द्वार के लिए नया ताला खरीदा
एक ताली तुमने रख ली और एक ताली मैंने
यह अजनबी होने की शुरुआत थी
और अब तो हम रक्तपात के
उस मुकाम पर
पहुंच चुके हैं कि हमारे
खतों के पते भी
एक दूसरे से अपना मुंह
चुराने लगे हैं।
-Dhoomil

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