White सरसी छंद विधान:-२७ मात्रा,१६-११ पर यति,चरणान्त में गाल अनिवार्य:- पुण्य कर्म से भर लो गगरी,जाना प्रभु के पास। बुरे व्यसन से बचे रहो जी, बनना ना है दास।। जीवन चक्की के पाटों में,पीस रहा संसार। एक पाट में जन्म दिखे है,मृत्यु दूजे यार।। नहीं एक भी यहाँ बचेगा,केवल ये है सत्य। ये संसार तो भ्रममात्र है,नहीं कहूँ असत्य।। जीवन धागा अगर पकड़ना,अपना लो सत्कर्म। मृत्यु पास तुम्हारे रहता,करते अगर कुकर्म।। मनुज-मनुज में भेद न होए,करना सबसे प्रेम। नहीं बुराई कभी करो जी,पूछो सबकी क्षेम।। ©Bharat Bhushan pathak #सरसी_छंद poetry on love love poetry in hindi poetry in hindi poetry lovers hindi poetry on life