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हर रोज तुम्हारे पीछे तुम्हारी गलियों में भटकता हूं

हर रोज तुम्हारे पीछे तुम्हारी गलियों में भटकता हूं शायद कभी देख जाओ किसी चौराहे पर यह ख्याल लेकर घूमता हूं अगर दिख गई तुम किसी चौराहे पर तो मुझे देखकर मुंह फेर ना लो बस इसी बात से डरता हूं

©Vivek
  ashiq

ashiq #Shayari

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