White सुनो ना ये कहानी जिसे तुम अपनी कहानी कहते फिरते हो ये कहानी तुम्हारी ही है ना गर वाकई में ऐसा है तो इसके राइटर भी तुम ही बनो ना किसी और को इसे कहानी लिखने का हक क्यों दे रहे हो तुम्हें जैसी लिखनी है वैसी लिखो कभी किसी को समझते हुए कभी समझाते हुए कभी नजरे चुराते हुए तो कभी नजरे मिलाते हुए कभी खुद को ठुकराते हुए तो कभी खुद को अपनाते हुए कभी समझदारी भरी कभी चुलबुली सी कभी कभी दरिया सी कभी समुंदर सी कभी पतझड़ सी कभी बसंत सी कभी रिमझिम बरसते सावन सी तो कभी मई जून सी गरमाहट सी कभी मीठे दर्द सी कभी दिसम्बर जैसे सर्द सी ऐसा करने से हर पेज परफ़ेक्ट तो नहीं होगी जिंदगी में हां लेकिन जिंदगी में एक नई शुरुआत जरूर होगी और एक नए पन्ने पर शुरुआत करने से कभी न डरना क्योंकि अच्छा लिखने के लिए अक्सर कई बार लिखना पड़ता है Suman kothari ©एहसासों की दुनिया #rajdhani_night