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अंधेरों से घिरी ज़िन्दगी मे एक सुबह ,रौशनी हो तुम क

अंधेरों से घिरी ज़िन्दगी मे
एक सुबह ,रौशनी हो तुम
कड़वि यादों के महफ़िल को
मिठी-मिठी सी,चासनी हो तुम
तुम हो तो लगता है,ज़िंदा हूँ मै
खुले आसमां में बेख़ौफ़,एक परिंदा हूँ मैं #पारस #आसमां #परिंदा #तुम
अंधेरों से घिरी ज़िन्दगी मे
एक सुबह ,रौशनी हो तुम
कड़वि यादों के महफ़िल को
मिठी-मिठी सी,चासनी हो तुम
तुम हो तो लगता है,ज़िंदा हूँ मै
खुले आसमां में बेख़ौफ़,एक परिंदा हूँ मैं #पारस #आसमां #परिंदा #तुम