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___________________ बतलाती थीं जो कभी अनेक कहानिया

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बतलाती थीं जो कभी अनेक कहानियां,
हो चुकी हैं वीरान अब वो 'तेरी गलियां'।
खट्टे मीठे वो यादगार किस्से,
थे कभी मेरे जीवन के हिस्से।
तेरा छत पर आना बाल सुखाने,
झलक पाने को किये कितने बहाने।
वो पल भी थे कितने सुहाने,
जब तुम थे मेरी शरारतों के दीवाने।
नियति को था शायद यही मंज़ूर,
जो हो गए हम एक दूजे से दूर।
काश होती यहाँ तू अपनी यादों के संग,
खत्म कर मायूसी भर देती खुशियों के रंग।
खिलती हैं अब भी मन में उम्मीदों की कलियां,
कि होंगी आबाद एक दिन फिर से 'तेरी गलियां'। Written from a male's perspective.🌸
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Howdy Writers ❣️.
Open for Collab 🔥 • #TPsongprompt9 • #theprompter • #TPsongprompt
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बतलाती थीं जो कभी अनेक कहानियां,
हो चुकी हैं वीरान अब वो 'तेरी गलियां'।
खट्टे मीठे वो यादगार किस्से,
थे कभी मेरे जीवन के हिस्से।
तेरा छत पर आना बाल सुखाने,
झलक पाने को किये कितने बहाने।
वो पल भी थे कितने सुहाने,
जब तुम थे मेरी शरारतों के दीवाने।
नियति को था शायद यही मंज़ूर,
जो हो गए हम एक दूजे से दूर।
काश होती यहाँ तू अपनी यादों के संग,
खत्म कर मायूसी भर देती खुशियों के रंग।
खिलती हैं अब भी मन में उम्मीदों की कलियां,
कि होंगी आबाद एक दिन फिर से 'तेरी गलियां'। Written from a male's perspective.🌸
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