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पत्ते ने उंगली उठाई है आज हवा के इंसाफ़ पे बहारों

पत्ते ने उंगली उठाई है आज हवा के इंसाफ़ पे बहारों में गिराते तो कोई मलाल न होता।

           वीरेन्द्र सिंह 'वीर' पत्ता
पत्ते ने उंगली उठाई है आज हवा के इंसाफ़ पे बहारों में गिराते तो कोई मलाल न होता।

           वीरेन्द्र सिंह 'वीर' पत्ता