तोड़ - फोड़ करने का, है मुझको अधिकार उठाकर मारूंगा पत्थर, कौन करे पलटवार। चाहे जलाऊं रेल गाड़ी, या आग में झोंकू बस मेरी हिम्मत के आगे, झुक जाती है सरकार। परवाह देश सम्पत्ति की, मेरे ख्यालों में नहीं देश के लिये जान देना, इरादा ये नहीं स्वीकार लेकर डंडा हाथ में, उत्पात मचाता हर गली विद्रोही कहदो चाहे, हरदम लड़ने को तैयार। भविष्य की चिंता, हर पल कुछ ऐसे सताती है बिन मेहनत के मिल जाए, बंगला और कार। सरकारी नीतियों से भला,मेरा क्या भला होगा युवा हूँ मैं जोशीला, क्या करूँ बनकर समझदार भारत की आवाज़ बन, शर्मसार करता देश को अच्छी बातें समझ न आये,मैं पढ़ा लिखा गवार। ©श्वेता अग्रवाल 'ग़ज़ल' #श्वेता #श्वेता_अग्रवाल #ग़ज़ल #श्वेता_ग़ज़ल #nojoto #Agnipath #gazal