अजीब है ज़िन्दग़ी, मगर ये ज़िन्दग़ी हमारी है। यही है महबूबा अपनी, यही बन्दगी हमारी है। क़ुदरत का दिया हम को, एक नायाब तोहफा है, किसी ने ज़ाया करदी,तो किसी ने संवारी है। दुनियाँ मे हर जानदार, इन्सां पैदा नहीं होता, तय करता है क़िरदार, कब किसकी बारी है। तवंगर हो या सिकन्दर, सभी को जाना है इक दिन, किसी ने रो-रोकर तो, किसी ने हँस कर गुज़ारी है। "फिराक़",अपने लिए तो यहाँ, हर कोई जीता है, भलाई करने वालों की, समझलो रब से यारी है। नमस्कार लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳