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मेरे उलझे हुए ख्वाबोँ तो तराज़ू देदे, मेरे भगवन मु

मेरे उलझे हुए ख्वाबोँ तो तराज़ू देदे,

मेरे भगवन मुझे मेरे जज़्बातों पे क़ाबू देदे

मैं समन्दर भी किसी ग़ैर के हाथोँ से न लूँ,

और एक कतरा भी समन्दर है अगर तू देदे।
मेरे उलझे हुए ख्वाबोँ तो तराज़ू देदे,

मेरे भगवन मुझे मेरे जज़्बातों पे क़ाबू देदे

मैं समन्दर भी किसी ग़ैर के हाथोँ से न लूँ,

और एक कतरा भी समन्दर है अगर तू देदे।
sachinkumar4534

-SACHINKUMAR

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