जो मिलते हैं वो बिछड़ते भी हैं साहिब, हम नादान थे एक शाम की मुलाकात को जिंदगी समझ बैठे, ___________________________ मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, जो मिलते हैं वो बिछड़ते भी हैं साहिब,, हम नादान थे एक शाम की मुलाकात को जिंदगी समझ बैठे,, मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा