मुझको ले चल वहीं.... "याद करते हैं तुमको सनम हर कहीं, भूल खाने को जाते हैं, तुमको नहीं.. चाह मिलने की यदि है तो मिलना वहीं, व्यक्ति कोई जहाँ आता-जाता नहीं.. प्यार की बात है, हो गलत या सही, प्यार करते हैं यदि, तो छिपाते नहीं.. ख्वाहिशें, चाहते, सब सुखद ही नहीं, प्यार की यह सजा कुछ दुःखद ही सही.. प्यार ही प्यार हो दुःख न दिखे कहीं, बंदिशें तोड़कर मुझको ले चल वहीं.. याद करते हैं तुमको..." ©शैलेन्द्र राजपूत 01.08.2020 मुझको ले चल वहीं.... "याद करते हैं तुमको सनम हर कहीं, भूल खाने को जाते हैं, तुमको नहीं.. चाह मिलने की यदि है तो मिलना वहीं, व्यक्ति कोई जहाँ आता-जाता नहीं..