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इच्छाओं का कोई अंत नहीं, संतुष्टि का कोई संत नहीं,

इच्छाओं का कोई अंत नहीं,
संतुष्टि का कोई संत नहीं,
खुशियां तो अपने अंदर हैं,
बाहर तो कोई वसंत नहीं ।

©Sivesh Agnihotri
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कविता लेखक नोजोटो writer Life

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