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डरा सा सहमा सा मायूस सा थका हुआ रुका हुआ निराश हुआ

डरा सा
सहमा सा
मायूस सा
थका हुआ
रुका हुआ
निराश हुआ
अब नहीं
था कभी

पक्षी सा
मुसाफिर सा
पागल सा
सुयोग्य सा
जुनूनी सा
कर्मठ सा
तब नहीं
हूँ अभी

©Ritesh Kumar #Ritesh_Poetry
#part_1
डरा सा
सहमा सा
मायूस सा
थका हुआ
रुका हुआ
निराश हुआ
अब नहीं
था कभी

पक्षी सा
मुसाफिर सा
पागल सा
सुयोग्य सा
जुनूनी सा
कर्मठ सा
तब नहीं
हूँ अभी

©Ritesh Kumar #Ritesh_Poetry
#part_1