किस सोंच में हैं हम जो कहनी थी बात कह पाते भी नहीं, छूट गये जो बीच राह बापस आते भी नहीं.. हरे हरे थे सपने अब हरे भी नहीं, खिंची थी दरारें दिलों में बो खड्डे अभी भरे भी नहीं.. झुका के गर्दने आस आती है आँख में कि ढोये जाते नही अब यादों के बोझ हमसे.. तुम अब आये भी तो क्या जब बिछड़ गये अपने, हम ख्वाब देखें भी तो क्या जब उजड़ गये सपने.. ©Gaurav iit #गिलेशिकवे #gaurav_iit #Nojoto #nojotoquote #nojotopoetry #nojotohindi #nojotolove #nojotopoet