रंगो से भरी इस दुनिया में, में बेरंग सी में हु, केनवास के चित्र में कही, गलत रंग ना भर जाए। सोचती हु कही , दूर क्षितिज में , इंद्रधनुष ही कही ना बन जाए। रंगो की महफिल सजी है, सात समंदर पार, समंदर की लहरों में, आज हर रंग मिल जाए। ©ADV.काव्या मझधार #Holi ❤️ से ❤️तक #महफिल #होली #दिल_की_कलम_से #दिल_की_आवाज़