दोस्त कहूँ या कहूँ इसे मैं जादू की पुड़िया पल भर में ये, कितनी खुशियाँ दे जाती है शरारती है पर, सबके मन को ये भाती है नटखट अदाएं, भोली सी सूरत "मोटूराम" क्या कहूँ और तेरे लिए ख़्वाहिशो की रानी पढ़कर तेरे अल्फाज़ से दिल सुकून पाता है Dedicating a #testimonial to सौम्या उपाध्याय🍁