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बे-वक़्त जो वक़्त दे अपना, वही सबसे ख़ास है, ज़ि

बे-वक़्त जो  वक़्त दे अपना,  वही सबसे ख़ास है,
ज़िंदगी में ख़ुशियाँ उससे और उससे एहसास है।

जो नहीं साथ आज उनसे कल की उम्मीद कैसी, 
सच-झूठ तो बस  दिल-दिमाग़ के जैसे क़यास हैं। 

हर हाथ में नमक, बेहतर ही तो है ज़ख़्म छुपाना, 
ठीक से ढँकते भी नहीं, इनके ये कैसे लिबास हैं। 

माने या न माने, दिल ने तो माना है सबसे क़रीब, 
खिलती मुस्कान से  खटास में भी  बसे मिठास है। 

ख़ूब शिकायत है तुमसे 'धुन', बंद करो ये शरारतें,
उनके लिए हँसो-हँसाओ, चाहे पल ऐसे उदास हैं।  ♥️ Challenge-573 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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बे-वक़्त जो  वक़्त दे अपना,  वही सबसे ख़ास है,
ज़िंदगी में ख़ुशियाँ उससे और उससे एहसास है।

जो नहीं साथ आज उनसे कल की उम्मीद कैसी, 
सच-झूठ तो बस  दिल-दिमाग़ के जैसे क़यास हैं। 

हर हाथ में नमक, बेहतर ही तो है ज़ख़्म छुपाना, 
ठीक से ढँकते भी नहीं, इनके ये कैसे लिबास हैं। 

माने या न माने, दिल ने तो माना है सबसे क़रीब, 
खिलती मुस्कान से  खटास में भी  बसे मिठास है। 

ख़ूब शिकायत है तुमसे 'धुन', बंद करो ये शरारतें,
उनके लिए हँसो-हँसाओ, चाहे पल ऐसे उदास हैं।  ♥️ Challenge-573 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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