है कि उड़ूँ मैं, नील गगन में.... छूँ लूँ आसमान, बस पल भर में अपने आत्मविश्वास को, इतना करूँ विकसित.... जीने की आस, कभी खत्म ना हो मुझमें पा लूँ खुद को.... मैं खुद मे सहभागिता सबके लिए खुली है |#आपकी_सहेली ✍️ शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखे सभी प्रतिभागी अपनी अभिव्यक्ति के लिए पूर्ण स्वतंत्र हैं। आज का शीर्षक है : #ख़्वाहिश