कहना है मुझे, गुस्सा भी है पर क्या सह पाओगे तुम? बनके जो लोगों के मशीहा, लोगों को ही लड़ा देते हो, झूठे डर के साए में, रख आग लगा देते हो, वो लड़ते हैं तुम लड़वाते हो, फिर उनको किसी भीड़ का हिस्सा बताते हो, और डर की राजनीति से चुनाव जीत जाते हो। आखिर वो नैतिकता कहां गई, शायद हैबानियत के तले ही पिट पिटके मर गई... #नैतिकता_का_पतन आखिर क्यों? #Ar