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रात की धुन पर सपने बन कर, ख़्वाबों में क्यूँ आती न

 रात की धुन पर सपने बन कर,
ख़्वाबों में क्यूँ आती नहीं..!
जितना तुमको हम चाहते हैं,
उतना तुम क्यूँ चाहती नहीं..!
सच में मुझसे प्यार हो करती,
ये झूठ में भी कह जाती नहीं..!
ख़्वाबों में तुम्हारे मैं भी आता हूँ,
ये क्यूँ हमको जताती नहीं ..!
तुम तो यूँ सो जाती हो,
पर हम क्यूँ सो पाते नहीं..!
इश्क़ है तुमसे अपने मुख से,
हमको क्यूँ तुम बताती नहीं..!

©SHIVA KANT
  #raatkidhun