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शहर में यू तो सब है, पर वो आंगन कहा है, आंगन में

शहर में यू तो सब है, पर वो आंगन कहा है, 
आंगन में पल ने वाला वो पेड़ कहा है,
कड़कती धूप में भी राहत दे वो छाव कहा है, 
बेचैनी में भी सुकून कि नींद दे वो शाम कहा है । 

शहर में यू तो सब है पर सब में अब हम कहा है। 

~मनोज खांडे शहर में यू तो सब है, पर वो आंगन कहा है, 
आंगन में पल ने वाला वो पेड़ कहा है,
कड़कती धूप में भी राहत दे वो छाव कहा है, 
बेचैनी में भी सुकून कि नींद दे वो शाम कहा है । 
शहर में यू तो सब है पर सब में अब हम कहा है। 

~मनोज खांडे
शहर में यू तो सब है, पर वो आंगन कहा है, 
आंगन में पल ने वाला वो पेड़ कहा है,
कड़कती धूप में भी राहत दे वो छाव कहा है, 
बेचैनी में भी सुकून कि नींद दे वो शाम कहा है । 

शहर में यू तो सब है पर सब में अब हम कहा है। 

~मनोज खांडे शहर में यू तो सब है, पर वो आंगन कहा है, 
आंगन में पल ने वाला वो पेड़ कहा है,
कड़कती धूप में भी राहत दे वो छाव कहा है, 
बेचैनी में भी सुकून कि नींद दे वो शाम कहा है । 
शहर में यू तो सब है पर सब में अब हम कहा है। 

~मनोज खांडे
manojkhande5571

Manoj Khande

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