आज एक झलक मैंने इश्क को देखा फूलों की बगिया में टहल रहा था कभी तितली बन गुलाब को चुम जाता तो कभी ओंस बन पत्तों को छेड़ रहा था फिर कहीं छुप सा गया मुझे देख कर लगता है आँख मिचोली खेल रहा था या शायद किसी बात से नाराज़ था मुझसे एक बार जो गया, और आ ही नहीं रहा था आखिर किसी तरह ढूंढ़ ही लिया मैंने उसे पास बिठाकर उससे शिकायत कर रहा था कि क्यों दिल तोड़ गया मेरा फिर से उस दिन पर वह है की बस मुस्कुराए जा रहा था फिर जब मुझे यूँ उदास देख उब सा गया बोला, तुझे जिंदगी से रूबरू करवा रहा था कम्बख्त! यूँ बार बार दिल तोड़ कर तेरा मैं इश्क, तुझे शायर बना रहा था – श्वेता इश्क और मैं #yqbaba #yqdidi #love #poetry #anokhisyahi