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एक बचपन का जमाना था। जिसमें खुशियों का खजाना था। च

एक बचपन का जमाना था।
जिसमें खुशियों का खजाना था।
चाहत चांद को पाने की थी
और दिल तिल्ली का दिवाना था।
खबर न थी कुछ सुबह की
न शाम का ठिकाना था। 
थक कर आना स्कूल से
फिर खेलने भी जाना था।
मां की कहानी थी
पारियों का फसाना था।
बारिश में कागज की नाम थी
हर मौसम सुहाना था।
रोने की न वजह थी
न हसने का बहना था।

©Prince Yadav
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