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"समझदार बनाने की, कसमें खाए बैठी है, ना जाने ज़िन

"समझदार बनाने की, कसमें 
खाए बैठी है,
ना जाने ज़िन्दगी,किन इरादों 
को लिए बैठी है,
फिसलती जा रही है अनवरत
 रेत सी, फिर भी..
 दिल-ए-नादाँ को कुर्बान,ख्वाहिशों पर किए बैठी है।"
#minuverma

©DRx Khan
  #PhisaltaSamay  Neha verma Anshu writer Mukesh Poonia AD Grk Anudeep ..