वो अपनी रूहो में हुस्न के बाज़ार लिए बैठे हैं, हम भी उनके ही ख्वाबों के आकार लिए बैठे हैं, अब तारो से क्या इज़ाज़त मांगू, ऐ चाँद तेरे दीदार के लिए, जब जब वो अपने लिए मज़हब लिए बैठे हैं, तब तब हम उनके लिए अदब लिए बैठे हैं। #Adab