दुनिया में हर तरफ़ फ़ैला हुआ है कितना डर, ऐ ख़ुदा! कर दो ना, अब तो चमत्कार कोई।। इंसान ने बंद कर दिए, तेरे भी तो दर जहाँ में, तू ठहरा रहमदिल, दे रहमत का आधार कोई।। चला अपना ज़ोर, बड़ा ख़ुश होता था इन्सान, सिखा दिया न सबक, भिड़ेगा न बेकार कोई।। सफ़ाई में लगता वक़्त वहाँ, रहता इंसान जहाँ, कुछ कर, तेरे सिवा बाकी रही न दरकार कोई।। -संगीता पाटीदार दुनिया में हर तरफ़ फ़ैला हुआ है कितना डर, ऐ ख़ुदा! कर दो ना, अब तो चमत्कार कोई।। इंसान ने बंद कर दिए, तेरे भी तो दर जहाँ में, तू ठहरा रहमदिल, दे रहमत का आधार कोई।। चला अपना ज़ोर, बड़ा ख़ुश होता था इन्सान, सिखा दिया न सबक, भिड़ेगा न बेकार कोई।।