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लिखना समंदर चाहती हूं मगर स्याही रुकती नहीं पढ़ना

लिखना समंदर चाहती हूं मगर स्याही रुकती नहीं
पढ़ना आसमां को चाहती हूं मगर बादल छटते नहीं
ये उम्र का कैसा दौर हैं, जो गुजरता ही नहीं
मैं भाग जाना चाहती हूं मगर कदम आगे बढ़ते ही नहीं

©Anusha Choudhary
  होता नहीं

होता नहीं #Shayari

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