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इतिहास रचने चला था, मैं खुद को आजमाने चला था... त

इतिहास रचने चला था,  मैं खुद को आजमाने चला था...
तैयारियां पूरी थी लेकिन, भरोसा खुद पर थोड़ा सा कम था...
बंदिशें भी टूटी मुसीबतों की, सांस नई पहचान लेने लगी थी...
कुछ ज्यादा ही मिल गया था वक़्त से पहले मुझको...
नगवारा हुआ किस्मत को,  बेपर्दा हुआ चेहरा सभी का...
कहते जो खुद को कल तक मेरा साथी और शुभचिंतक थे...
आज साजिशे उनकी कामयाब हुई थी, एक बार फिर मेरे अपनों के हाथो मेरी मौत हुई थी। #shayari#nojotoshayari#dilshayari#hindinjotoshayari#2019
इतिहास रचने चला था,  मैं खुद को आजमाने चला था...
तैयारियां पूरी थी लेकिन, भरोसा खुद पर थोड़ा सा कम था...
बंदिशें भी टूटी मुसीबतों की, सांस नई पहचान लेने लगी थी...
कुछ ज्यादा ही मिल गया था वक़्त से पहले मुझको...
नगवारा हुआ किस्मत को,  बेपर्दा हुआ चेहरा सभी का...
कहते जो खुद को कल तक मेरा साथी और शुभचिंतक थे...
आज साजिशे उनकी कामयाब हुई थी, एक बार फिर मेरे अपनों के हाथो मेरी मौत हुई थी। #shayari#nojotoshayari#dilshayari#hindinjotoshayari#2019