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*धवल चरित्र* *इस लेख को ध्यान से पढ़ें एक एक लाइन

*धवल चरित्र*
*इस लेख को ध्यान से पढ़ें एक एक लाइन में बेहतर जिंदगी जीने के राज़ छिपे हैं और शत् प्रतिशत शास्वत सत्य लिखा है।*
ईश्वर की आराधना, नित्य प्रति का पूजन-अर्चन आप करें या ना करें लेकिन अपने चरित्र का संरक्षण आप जरूर करें । चरित्र छोटी छोटी गलतियों से , बुरी आदतों से , बेफजूल के शौक करने से बिगड़ता है । आपको पता भी नहीं चलता कि आप अपना ही सर्वनाश स्वयं ही कर रहे हैं । आपको लगता है आप सँभाल लेंगे लेकिन जब आप छोटी सी गलती करने के लिए अपने आप को नहीं रोक सके तो रायता फैला कर क्या सँभाल पाओगे । उधार लेना , झूठ बोलना ये ऐसे ही छोटी गलतियाँ हैं लेकिन यही एक दिन आपको भिखारी बना सकतीं हैं और आपकी समाज में बनाई हुई इज्जत का जनाजा निकाल सकतीं हैं । और इसका असर सबसे ज्यादा आपके खून के रिश्तों पर पड़ता है ।ऐसी दरार आती है कि सारी भावनाएं मर जातीं हैं और आपके मुश्किल वक्त में फिर कोई आपका साथ चाहते हुए भी नहीं दे पाता है क्योंकि उनके भी बीबी बच्चे उनसे लगे हैं उनकी अपनी जिम्मेदारियाँ होतीं हैं । आप तो अपना रायता फैला ही चुके होते हैं पर समाज में उनको तो रहना है ना । बात बहुत गंभीर है इसको हल्के में ना लीजिए । पूजा पाठ के लिए समय भले न निकाल पायें लेकिन अपने चरित्र को मजबूत जरूर बनायें , क्योंकि बदनाम और बुरे लोगों को कोई सहारा नहीं देता है कभी । जब तक ढकी है तब तक ही लोग आपके साथ हैं वो देखने भर के हैं असली सहारा खून के रिश्ते ही देते हैं या फिर पति-पत्नी एक दूसरे का सहारा बनते हैं तीसरा दुनियाँ में कोई भी नहीं होता जो आपको किसी परेशानी से उबार सके ।आप सोचकर देखिए आपका कोई अपने वाला भिखारी है , फुल टू शराबी है , सट्टेबाजी में फँसा हुआ लाखों का कर्जदार है । तो क्या उसको आप समाज में  नाज और इज्जत से अपना कह पाते हैं । या उनका जिक्र आते ही बगलें झांकने लगते हैं ।जब आप ऐसा नहीं कर सकते तो दूसरों से उम्मीद कैसे कर सकते हैं । इसलिए गलती से भी चरित्र के प्रति लापरवाही मत कीजिए वरना भेद खुलते ही आप घर के रहोगे ना घाट के और सुसाइड करना भी चाहोगे तो मर भी नहीं पाओगे उल्टा हाथ पैर और तोड़ कर अपाहिजों की जिंदगी जीने मजबूर हो जाओगे । नाम ,पद ,प्रतिष्ठा के बिना व्यक्ति कुछ भी नहीं है ‌‌। *सब कलेक्टर नहीं बन सकते हैं लेकिन इज्जतदार सब बन सकते हैं ‌।* अगर अपने चरित्र पर ध्यान दें तो ।दुनियाँ में जितने सगे हम अपने आप के होते हैं कोई भी नहीं हो सकता है । और *अपने साथ ही गद्दारी करोगे तो सोच लो भविष्य कितना अन्धकार में है* इसलिए जीवन के किसी मोड़ पर गलती कर ही चुके हैं तो मरने से पहले उससे तौबा कर लीजिए और सुधार जाइए । वरना आपकी आत्मा भूत बनकर भटकेगी ,, क्योंकि भगवान भी ऐसे लोगों का साथ नहीं देता । इसलिए नित्य प्रति की पूजा से भी बड़ा काम है चरित्र निर्माण । जो आपके अपने हाथ में है । जिसे जवानी में लड़के -लड़कियाँ इश्क के चक्कर में बिगाड़ते हैं । और बड़े होकर लोग झूठ बोलकर  कर्जा लेकर , शराब पीकर, ग़लत संबंध बनाकर , संगत बिगाड़ कर चौपट कर लेते हैं । याद रखिए *माता पिता से बच्चों की शान है और बच्चों से माता पिता की* , इनके अलावा दुनियाँ में और कोई सगेवाला होता ही नहीं । इसलिए चरित्र पुख्ता बनाइए जो प्रलोभनों से बहके नहीं । वरना जिल्लत की जिंदगी और मौत के लिए तैयार रहिए । और हाँ अगर गलती कर चुके हैं तो ये लेख पढ़कर डिप्रेशन में मत आइए बल्कि अपने कर्म सुधारिए अभी भी वक्त है क्योंकि आखिरी दांव भी बाजी पलट देता है । इसलिए जब तक मरे नहीं हैं प्रयास जारी रखिए जिंदगी को बेहतर बनाने के , नाम,इज्जत, शोहरत, दौलत कमाने के , सबसे ज्यादा धवल चरित्र बनाने के ।गुडलक 👍👍👍
लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान ©
सागर मध्यप्रदेश ( 11 अप्रैल 2022 )

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#VantinesDay  Neha Tiwari kanishka Poonita Sharma Nisha Tiwari. POOJA UDESHI
*धवल चरित्र*
*इस लेख को ध्यान से पढ़ें एक एक लाइन में बेहतर जिंदगी जीने के राज़ छिपे हैं और शत् प्रतिशत शास्वत सत्य लिखा है।*
ईश्वर की आराधना, नित्य प्रति का पूजन-अर्चन आप करें या ना करें लेकिन अपने चरित्र का संरक्षण आप जरूर करें । चरित्र छोटी छोटी गलतियों से , बुरी आदतों से , बेफजूल के शौक करने से बिगड़ता है । आपको पता भी नहीं चलता कि आप अपना ही सर्वनाश स्वयं ही कर रहे हैं । आपको लगता है आप सँभाल लेंगे लेकिन जब आप छोटी सी गलती करने के लिए अपने आप को नहीं रोक सके तो रायता फैला कर क्या सँभाल पाओगे । उधार लेना , झूठ बोलना ये ऐसे ही छोटी गलतियाँ हैं लेकिन यही एक दिन आपको भिखारी बना सकतीं हैं और आपकी समाज में बनाई हुई इज्जत का जनाजा निकाल सकतीं हैं । और इसका असर सबसे ज्यादा आपके खून के रिश्तों पर पड़ता है ।ऐसी दरार आती है कि सारी भावनाएं मर जातीं हैं और आपके मुश्किल वक्त में फिर कोई आपका साथ चाहते हुए भी नहीं दे पाता है क्योंकि उनके भी बीबी बच्चे उनसे लगे हैं उनकी अपनी जिम्मेदारियाँ होतीं हैं । आप तो अपना रायता फैला ही चुके होते हैं पर समाज में उनको तो रहना है ना । बात बहुत गंभीर है इसको हल्के में ना लीजिए । पूजा पाठ के लिए समय भले न निकाल पायें लेकिन अपने चरित्र को मजबूत जरूर बनायें , क्योंकि बदनाम और बुरे लोगों को कोई सहारा नहीं देता है कभी । जब तक ढकी है तब तक ही लोग आपके साथ हैं वो देखने भर के हैं असली सहारा खून के रिश्ते ही देते हैं या फिर पति-पत्नी एक दूसरे का सहारा बनते हैं तीसरा दुनियाँ में कोई भी नहीं होता जो आपको किसी परेशानी से उबार सके ।आप सोचकर देखिए आपका कोई अपने वाला भिखारी है , फुल टू शराबी है , सट्टेबाजी में फँसा हुआ लाखों का कर्जदार है । तो क्या उसको आप समाज में  नाज और इज्जत से अपना कह पाते हैं । या उनका जिक्र आते ही बगलें झांकने लगते हैं ।जब आप ऐसा नहीं कर सकते तो दूसरों से उम्मीद कैसे कर सकते हैं । इसलिए गलती से भी चरित्र के प्रति लापरवाही मत कीजिए वरना भेद खुलते ही आप घर के रहोगे ना घाट के और सुसाइड करना भी चाहोगे तो मर भी नहीं पाओगे उल्टा हाथ पैर और तोड़ कर अपाहिजों की जिंदगी जीने मजबूर हो जाओगे । नाम ,पद ,प्रतिष्ठा के बिना व्यक्ति कुछ भी नहीं है ‌‌। *सब कलेक्टर नहीं बन सकते हैं लेकिन इज्जतदार सब बन सकते हैं ‌।* अगर अपने चरित्र पर ध्यान दें तो ।दुनियाँ में जितने सगे हम अपने आप के होते हैं कोई भी नहीं हो सकता है । और *अपने साथ ही गद्दारी करोगे तो सोच लो भविष्य कितना अन्धकार में है* इसलिए जीवन के किसी मोड़ पर गलती कर ही चुके हैं तो मरने से पहले उससे तौबा कर लीजिए और सुधार जाइए । वरना आपकी आत्मा भूत बनकर भटकेगी ,, क्योंकि भगवान भी ऐसे लोगों का साथ नहीं देता । इसलिए नित्य प्रति की पूजा से भी बड़ा काम है चरित्र निर्माण । जो आपके अपने हाथ में है । जिसे जवानी में लड़के -लड़कियाँ इश्क के चक्कर में बिगाड़ते हैं । और बड़े होकर लोग झूठ बोलकर  कर्जा लेकर , शराब पीकर, ग़लत संबंध बनाकर , संगत बिगाड़ कर चौपट कर लेते हैं । याद रखिए *माता पिता से बच्चों की शान है और बच्चों से माता पिता की* , इनके अलावा दुनियाँ में और कोई सगेवाला होता ही नहीं । इसलिए चरित्र पुख्ता बनाइए जो प्रलोभनों से बहके नहीं । वरना जिल्लत की जिंदगी और मौत के लिए तैयार रहिए । और हाँ अगर गलती कर चुके हैं तो ये लेख पढ़कर डिप्रेशन में मत आइए बल्कि अपने कर्म सुधारिए अभी भी वक्त है क्योंकि आखिरी दांव भी बाजी पलट देता है । इसलिए जब तक मरे नहीं हैं प्रयास जारी रखिए जिंदगी को बेहतर बनाने के , नाम,इज्जत, शोहरत, दौलत कमाने के , सबसे ज्यादा धवल चरित्र बनाने के ।गुडलक 👍👍👍
लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान ©
सागर मध्यप्रदेश ( 11 अप्रैल 2022 )

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