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मेरी और तुम्हारी मोहब्बत ए इबितदा हो, आंखों की मस्

मेरी और तुम्हारी मोहब्बत ए इबितदा हो,
आंखों की मस्ती से, इश्क़ की हबाब को हलका का छेड़ कर।

ए ज़ालिम मुकर ना अब, इज़हार से,
अब जवाज़ ए मंज़ूरी इन आंखों को पढ़ने की दे दो ना। 🌝प्रतियोगिता-39 🌝
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌷"ख़्वाब मेरे हैं"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
मेरी और तुम्हारी मोहब्बत ए इबितदा हो,
आंखों की मस्ती से, इश्क़ की हबाब को हलका का छेड़ कर।

ए ज़ालिम मुकर ना अब, इज़हार से,
अब जवाज़ ए मंज़ूरी इन आंखों को पढ़ने की दे दो ना। 🌝प्रतियोगिता-39 🌝
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌷"ख़्वाब मेरे हैं"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
mrsrosysumbriade8729

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