|| पर्वत और पुरूष || सदैव विराजमान रहते हैं अपने परिवार जन के लिए दोनों ; एक देश की रक्षा के लिए दूसरा परिवार की रक्षा के लिए ! करते हैं सहन स्वयं सारे दुःख आंधी , तूफ़ान और गर्मी को अपनी ताकत से बचाते हैं ! चाहे कितनी भी हो कठिन समस्या विचलित नहीं होते हैं । अपने आंसू को घूंट कर पी जाते हैं । शिक्षा देते हैं दोनों ऊंचा उठने की । कुछ कर दिखाने की .... जो पर्वत और पुरूष के जैसे हो महान हो ।। #पर्वत_सह_जाते_हैं #पर्वत और पुरूष #पुरूषहितमेंजारी